आखिर बिजली बनती कैसे और क्यों गिरती कयो है?
काले बादलों के बीच में हमें अक्सर बारिश के दौरान प्रकाश की एक तेज चमक दिखाई देती है, जिसे हम आसमानी बिजली कहते हैं। हम जानते हे की बिजली का कड़कना तो एक प्राकृतिक घटना है, जिसकी प्रचंडता इसे प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखती है। आप यकीन नहीं करोगे प्रतिवर्ष यह आसमानी कहर करीब 24,000 लोगो की मौत की जिम्मेदार होती है।
आसमानी बिजली के दौरान उत्पन्न विद्युत आवेश का तापमान सूर्य के सतही
तापमान से लगभग 4 गुना अधिक हो सकता है। ओर एक आसमानी बिजली से आप 100 वॉट के बल्ब को 3 महीने तक जला सकते हो। इतना ही
नहीं आसमानी बिजली में इतनी ऊर्जा होती है कि एक बार में 1,60,000 ब्रेड के
टुकड़े सेंके जा सकते है। आसमान से गिरने वाली बिजली ओसतन 4 से 5 किलोमीटर तक लंबी होती है. और इसकी फ्लैश 1 या 2 इंच तक भी चौड़ी हो सकती है।
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पर अब प्रश्न ये खड़ा होता है कि यह बिजली आखिर बनती कैसे और क्यों गिरती
कयो है? मतलब आसमान में ऐसा तो क्या होता है जिससे बिजली उत्पन्न होने लगती
है। वहां कोई जनरेटर तो लगा हुआ नहीं है। जो आसमानी बिजली को बनाएगा। तो
फिर आखिर यह बिजली बनती कैसे।
इसका आसान सा जवाब है। जैसा की आप जानते होंगे कि बादल पानी के गर्म होके
वास्पिकृत होके और उपर जाकर ठंडा होने से बनते हैं। उपर ये जाकर ये बादल इतने ठंडे
हो जाते हैं कि वो छोटे छोटे बर्फ के टुकड़े में बदल जाते हे। ये
बर्फ के टुकड़े लगातार आपस में टकराते रहते हैं। इसी टकराव के कारण एक
negative charge बनता हैं जो कि बादलों में नीचे की ओर और positive charge
हल्के होने के कारण उपर की ओर आ जाते हैं। जो एक दूसरे के संपर्क में आने
से चिंगारी उत्पन्न करता है। यह कुछ इस तरह से होता है जैसे आप ठंडी में
कंबल में हाथ रगड़ने से जो चिंगारी उत्पन्न होती दिखती है, यह ठीक इसी तरह
उत्पन्न होता है। पर ये बड़े प्रमाण में होती है। इस के तीन प्रकार है। Intra-cloud lightening – Cloud to cloud lightening – Cloud to ground lightening –
Intra-cloud lightening–
Intra-cloud lightening यानी एक ही बादल के बिच में बिजली का चमकना, इसमें बादलो के बीच में positive
charge जो की उपर की ओर होते हैं। और negative charge जो की नीचे की ओर होता है वो आपस में टकरााता है जिस वजह से बिजली चमकती हैं, लेकिन इस में आवाज़
नही होती हैं।
Cloud to cloud lightening –
यानि दो बादलो के बीच में बिजली का चमकना, इसमें एक बादल में negative
charge और दुसरे बादल में positive charge के आपस में टकराने से बिजली
उत्पन्न होती है। इसमें जमीन पर खड़े observer को बिजली दिख भी सकती हैं और
नही भी।
Cloud to ground lightening –
यानि बादल और जमीन के बीच बिजली का चमकना, इसे साधारण भाषा में बिजली का
गिरना भी कहते हैं। इसमें होता ये हैं कि बादलों के नीचे negative charge
जमीन के नीचे positive charge के तरफ आकर्षित होकर lightening बनाता हैं।
जमीन पर ये अधिकतम छुटे पेड़ या खुले मैदान पर गिरते हैं। इसलिए हमे
बारिश के समय खुले मैदान या पेड़ के नीचे जाने मना किया जाता हैं। पर हर बार
बिजली जमीन पर गिरे ऐसा जरूरी नहीं है वह हवा में भी खत्म हो सकती है।
जमीन पर गिरने वाली बिजली 27,000 °C तक गर्म होती हैं। और ये जमीन पर गिरने
वाली बिजली बहुत तेज़ी से आवाज़ भी करती हैं। यह आवाज हवा को चीरता हुआ आने
के कारण होता है।
आप जानते ही होगे की प्रकास की स्पीड ध्वनि से कई गुना ज्यादा होती है। और यही कारण है, कि
हमें गिरती हुई बिजली पहले दिखाई दे जाती है और गर्जना की आवाज बाद में
सुनाई देती है।
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